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The Noble Qur'an Encyclopedia

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The Poets [Ash-Shuara] - Hindi translation - Azizul Haq Al-Omari

Surah The Poets [Ash-Shuara] Ayah 227 Location Maccah Number 26

ता, सीन, मीम।

ये स्पष्ट किताब की आयतें हैं।

शायद (ऐ रसूल!) आप अपने आपको हलाक करने वाले हैं, इसलिए कि वे ईमान नहीं लाते।[1]

यदि हम चाहें, तो उनपर आकाश से कोई निशानी उतार दें, फिर उसके सामने उनकी गर्दनें झुकी रह जाएँ।[2]

और जब भी 'रह़मान' (अति दयावान्) की ओर से उनके पास कोई नई नसीहत आती है, तो वे उससे मुँह फेरने वाले होते हैं।

अतः निःसंदेह उन्होंने झुठला दिया, तो शीघ्र ही उनके पास उस चीज़ की खबरें आ जाएँगी, जिसका वे उपहास उड़ाया करते थे।

और क्या उन्होंने धरती की ओर नहीं देखा कि हमने उसमें हर उत्तम प्रकार के कितने पौधे उगाए हैं?

निःसंदे इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी[3] है। (परंतु) उनमें से अधिकतर ईमान लाने वाले नहीं थे।

तथा निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।

और जब आपके पालनहार ने मूसा को पुकारा कि उन ज़ालिम लोगों[4] के पास जाओ।

फ़िरऔन की जाति के पास। क्या वे डरते नहीं?

उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! निःसंदेह मुझे डर है कि वे मुझे झुठला देंगे।

और मेरा सीना घुटता है और मेरी ज़बान नहीं चलती, अतः हारून की ओर संदेश भेज।

और उनका मुझपर एक अपराध का आरोप है। अतः मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।

(अल्लाह ने) फरमाया : ऐसा कभी नहीं होगा, अतः तुम दोनों हमारी निशानियों के साथ जाओ। निःसंदेह हम तुम्हारे साथ ख़ूब सुनने[5] वाले हैं।

तो तुम दोनों फ़िरऔन के पास जाओ और कहो कि निःसंदेह हम सारे संसारों के पालनहार के संदेशवाहक हैं।

कि तू बनी इसराईल को हमारे साथ भेज दे।

(फ़िरऔन ने) कहा : क्या हमने तुझे अपने यहाँ इस हाल में नहीं पाला कि तू बच्चा था और तू हमारे बीच अपनी आयु के कई वर्ष रहा?

और तूने अपना वह काम[6] किया, जो तूने किया। और तू अकृतज्ञों में से है।

(मूसा ने) कहा : मैंने उस समय वह काम इस हाल में किया कि मैं अनजानों में से था।

फिर मैं तुम्हारे पास से भाग गया, जब मैं तुमसे डरा, तो मेरे पालनहार ने मुझे हुक्म (नुबुव्वत एवं ज्ञान) प्रदान किया और मुझे रसूलों में से बना दिया।

और यह कोई उपकार है, जो तू मुझपर जता रहा है कि तूने बनी इसराईल काे ग़ुलाम बना रखा है।

फ़िरऔन ने कहा : और 'रब्बुल-आलमीन' (सारे संसारों का पालनहार) क्या है?

(मूसा ने) कहा : जो आकाशों और धरती का रब है और जो उनके बीच है उसका भी, यदि तुम विश्वास करने वाले हो।

उसने अपने आस-पास के लोगों से कहा : क्या तुम सुनते नहीं?

(मूसा ने) कहा : जो तुम्हारा पालनहार तथा तुम्हारे पहले बाप-दादा का पालनहार है।

(फ़िरऔन ने) कहा : निश्चय तुम्हारा यह रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, अवश्य पागल है।

(मूसा ने) कहा : जो पूर्व तथा पश्चिम रब है और उसका भी जो उन दोनों के बीच है, अगर तुम समझते हो।

(फ़िरऔन ने) कहा : निश्चय यदि तूने मेरे अलावा किसी और को पूज्य बनाया, तो मैं तुझे अवश्य ही बंदी बनाए हुए लोगों में शामिल कर दूँगा।‌

(मूसा ने) कहा : क्या भले ही मैं तेरे पास कोई स्पष्ट चीज़ ले आऊँ?

उसने कहा : तू उसे ले आ, यदि तू सच्चे लोगों में से है।

फिर उसने अपनी लाठी फेंक दी, तो अचानक वह एक प्रत्यक्ष अजगर बन गई।

तथा उसने अपना हाथ निकाला, तो एकाएक वह देखने वालों के लिए सफेद (चमकदार) था।

उसने अपने आस-पास के प्रमुखों से कहा : निश्चय यह तो एक बड़ा कुशल जादूगर है।

जो चाहता है कि अपने जादू के साथ तुम्हें तुम्हारी धरती से निकाल[7] दे। तो तुम क्या आदेश देते हो?

उन्होंने कहा : इसके तथा इसके भाई को मोहलत दें और नगरों में (लोगों को) जमा करने वालों को भेज दें।

कि वे तेरे पास हर बड़ा जादूगर ले आएँ, जो जादू में बहुत कुशल हो।

तो जादूगर एक निश्चित दिन के नियत समय पर इकट्ठा कर लिए गए।

तथा लोगों से कहा गया : क्या तुम एकत्र होने वाले[8] हो?

शायद हम इन जादूगरों के अनुयायी बन जाएँ, यदि वही विजयी हों।

फिर जब जादूगर आ गए, तो उन्होंने फ़िरऔन से कहा : क्या सचमुच हमें कुछ पुरस्कार मिलेगा, यदि हम ही प्रभावी रहे?

उसने कहा : हाँ! और निश्चय तुम उस समय निकटवर्तियों में से हो जाओगे ।

मूसा ने उनसे कहा : फेंको, जो कुछ तुम फेंकने वाले हो।

तो उन्होंने अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ फेंकीं और कहा : फ़िरऔन के प्रभुत्व की सौगंध! निःसंदेह हम, निश्चय हम ही विजयी रहेंगे।

फिर मूसा ने अपनी लाठी फेंकी, तो एकाएक वह उन चीज़ों को निगल रही थी, जो वे झूठ बना रहे थे।

इसपर जादूगर सजदा करते हुए गिर गए।[9]

उन्होंने कहा : हम सारे संसारों के पालनहार पर ईमान ले आए।

मूसा तथा हारून के पालनहार पर।

(फ़िरऔन ने) कहा : तुम उसपर ईमान ले आए, इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति दूँ? निःसंदेह यह अवश्य तुम्हारा बड़ा (गुरू) है, जिसने तुम्हें जादू सिखाया है। अतः निश्चय तुम जल्दी जान लोगे। मैं अवश्य तुम्हारे हाथ और तुम्हारे पाँव विपरीत दिशा[10] से काट दूँगा तथा निश्चय तुम सभी को अवश्य बुरी तरह सूली पर चढ़ा दूँगा।

उन्होंने कहा : कोई नुक़सान नहीं, निश्चित रूप से हम अपने पालनहार की ओर पलटने वाले हैं।

हम आशा रखते हैं कि हमारा पालनहार हमारे लिए, हमारे पापों को क्षमा कर देगा, इस कारण कि हम सबसे पहले ईमान लाने वाले हैं।

और हमने मूसा की ओर वह़्य की कि मेरे बंदों को लेकर रातों-रात निकल जा। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा।

तो फ़िरऔन ने नगरों में (सेना) एकत्र करने वालों को भेज दिया।[11]

कि निःसंदेह ये लोग एक छोटा-सा समूह हैं।

और निःसंदेह ये हमें निश्चित रूप से गुस्सा दिलाने वाले हैं।

और निश्चय ही हम सब चौकन्ना रहने वाले हैं।

इस तरह हमने उन्हें बाग़ों और सोतों से निकाल दिया।

तथा ख़ज़ानों और उत्तम आवासों से।

ऐसा ही हुआ और हमने उनका वारिस बनी इसराईल को बना दिया।

तो उन्होंने सूर्योदय के समय उनका पीछा किया।

फिर जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देखा, तो मूसा के साथियों ने कहा : निःसंदेह हम निश्चय ही पकड़े जाने[12) वाले हैं।

(मूसा ने) कहा : हरगिज़ नहीं! निश्चय मेरे साथ मेरा पालनहार है। वह अवश्य मेरा मार्गदर्शन करेगा।

तो हमने मूसा की ओर वह़्य की कि अपनी लाठी को सागर पर मारो। (उसने लाठी मारी) तो वह फट गया और हर टुकड़ा बड़े पहाड़ की[13] तरह हो गया।

तथा वहीं हम दूसरों को निकट ले आए।

और हमने मूसा को और जो उसके साथ थे, सबको बचा लिया।

फिर हमने दूसरों को डुबो दिया।

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर लोग ईमान लाने वाले नहीं थे।

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् हैl

तथा आप उन्हें इबराहीम का समाचार सुनाएँ।

जब उसने अपने बाप तथा अपनी जाति से कहा : तुम किसकी पूजा करते हो?

उन्होंने कहा : हम कुछ मूर्तियों की पूजा करते हैं, इसलिए उन्हीं की सेवा में लगे रहते हैं।

उसने कहा : क्या वे तुम्हें सुनते हैं, जब तुम (उन्हें) पुकारते हो?

या तुम्हें लाभ देते हैं, या हानि पहुँचाते हैं?

उन्होंने कहा : बल्कि हमने अपने बाप-दादा को पाया कि वे ऐसा ही करते थे।

उसने कहा : तो क्या तुमने देखा कि जिनको तुम पूजते रहे।

तुम तथा तुम्हारे पहले बाप-दादा?

सो निःसंदेह वे मेरे शत्रु हैं, सिवाय सारे संसारों के पालनहार के।

वह जिसने मुझे पैदा किया, फिर वही मेरा मार्गदर्शन करता है।

और वही जो मुझे खिलाता है और मुझे पिलाता है।

और जब मैं बीमार होता हूँ, तो वही मुझे अच्छा करता है।

तथा वह जो मुझे मारेगा, फिर[14] मुझे जीवित करेगा।

तथा वह, जिससे मैं आशा रखता हूँ कि वह बदले के दिन मेरे पाप क्षमा कर देगा।

ऐ मेरे पालनहार! मुझे हुक्म (धर्म का ज्ञान) प्रदान कर और मुझे नेक लोगों के साथ मिला।

और बाद में आने वालों में मुझे सच्ची ख्याति प्रदान कर।

और मुझे नेमतों वाली जन्नत के वारिसों में से बना दे।

तथा मेरे बाप को क्षमा कर दे।[15] निश्चय वह गुमराहों में से था।

तथा मुझे रुसवा न कर, जिस दिन लोग उठाए जाएँगे।[16]

जिस दिन न कोई धन लाभ देगा और न बेटे।

परंतु जो अल्लाह के पास पाक-साफ़ दिल लेकर आया।

और (अपने रब से) डरने वालों के लिए जन्नत निकट लाई जाएगी।

तथा पथभ्रष्ट लोगों के लिए भड़कती आग प्रकट कर दी जाएगी।

तथा उनसे कहा जाएगा : कहाँ हैं वे, जिन्हें तुम पूजते थे?

अल्लाह के सिवा। क्या वे तुम्हारी मदद करते हैं, या अपनी रक्षा करते हैं?

फिर वे और सब पथभ्रष्ट लोग उसमें औंधे मुँह फेंक दिए जाएँगे।

और इबलीस की समस्त सेनाएँ भी।

वे उसमें आपस में झगड़ते हुए कहेंगे :

अल्लाह की क़सम! निःसंदेह हम निश्चय खुली गुमराही में थे।

जब हम तुम्हें सारे संसारों के पालनहार के बराबर ठहराते थे।

और हमें तो सिर्फ़ इन अपराधियों ने गुमराह किया।

अब न हमारे लिए कोई सिफारिश करने वाले हैं।

और न कोई घनिष्ट मित्र।

तो यदि वास्तव में हमारे लिए वापस जाने का अवसर होता, तो हम ईमानवालों में से हो जाते।[17]

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली,[18] अत्यंत दयावान् हैl

नूह़ की जाति ने रसूलों को झुठलाया।

जब उनसे उनके भाई नूह़ ने कहा : क्या तुम डरते नहीं?

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।[19]

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।

मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता। मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।

उन्होंने कहा : क्या हम तुझपर ईमान ले आएँ, जबकि तेरे पीछे चलने वाले अत्यंत नीच[20] लोग हैं?

(नूह़ ने) कहा : मूझे क्या मालूम कि वे क्या कर्म करते रहे हैं?

उनका ह़िसाब तो मेरे पालनहार ही के ज़िम्मे है, यदि तुम समझो।

और मैं ईमान वालों को धुतकारने वाला[21] नहीं हूँ।

मैं तो बस एक खुला डराने वाला हूँ

उन्होंने कहा : ऐ नूह़! यदि तू बाज़ नहीं आया, तो अवश्य संगसार किए गए लोगों में से हो जाएगा।

उसने कहा : ऐ मेरे पालनहार! निःसंदेह मेरी जाति ने मुझे झुठला दिया!

अतः तू मेरे और उनके बीच दो-टूक निर्णय कर दे, तथा मुझे और जो ईमानवाले मेरे साथ हैं, उन्हें बचा ले।

तो हमने उसे और उन लोगों को जो उसके साथ भरी हुई नाव में थे, बचा लिया।

फिर उसके बाद शेष लोगों को डुबो दिया।

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।

आद ने रसूलों को झुठलाया।

जब उनसे उनके भाई हूद[22] ने कहा : क्या तुम डरते नहीं हो?

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।

मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।

क्या तुम हर ऊँचे स्थान पर एक स्मारक बनाते हो? इस स्थिति में कि व्यर्थ कार्य करते हो।

तथा बड़े-बड़े भवन बनाते हो, शायद कि तुम सदा जीवित रहोगे।

और जब तुम पकड़ते हो, तो बड़ी निर्दयता से पकड़ते हो।

अतः अल्लाह से डरो और जो मैं कहता हूँ, उसे मानो।

तथा उससे डरो जिसने उन चीज़ों से तुम्हारी मदद की, जिन्हें तुम जानते हो।

उसने चौपायों और बेटों से तुम्हारी मदद की।

तथा बाग़ों और जल स्रोताें से।

निश्चय ही मैं तुमपर एक बड़े दिन की यातना से डरता हूँ।

उन्होंने कहा : हमारे लिए बराबर है कि तू नसीहत करे, या नसीहत करने वालों में से हो।

यह तो केवल पहले लोगों की आदत है।[23]

और हम निश्चित रूप से दंडित नहीं होंगे।

तो उन्होंने उसे झुठला दिया, तो हमने उन्हें विनष्ट कर दिया। निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर लोग ईमानवाले नहीं थे।

तथा निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।

समूद ने रसूलों[24] को झुठलाया।

जब उनसे उनके भाई सालेह़ ने कहा : क्या तुम डरते नहीं हो?

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।

अतः अल्लाह से डरो और जो मैं कहता हूँ, उसका पालन करो।

मैं इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता। मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।

क्या तुम उन चीज़ों में जो यहाँ हैं, निश्चिंत छोड़ दिए जाओगे?

बाग़ों तथा स्रोतों में।

तथा खेतों और खजूर के पेड़ों में, जिनके फल मुलायम और पके हुए हैं।

तथा तुम पर्वतों को काटकर बड़ी निपुणता के साथ घर बनाते हो।

अतः अल्लाह से डरो और मेरा आज्ञापालन करो।

और हद से आगे बढ़ने वालों का हुक्म न मानो।

जो धरती में बिगाड़ पैदा करते हैं और सुधार नहीं करते।

उन्होंने कहा : निःसंदेह तू उन लोगों में से है जिनपर प्रबल जादू किया गया है।

तू तो बस हमारे ही जैसा एक मनुष्य है। अतः कोई निशानी ले आ, यदि तू सच्चों में से है।

उसने कहा : यह एक ऊँटनी[25] है। इसके लिए पानी पीने की एक बारी है और तुम्हारे लिए एक निश्चित दिन पानी पीने की बारी है।

तथा उसे किसी बुराई से हाथ न लगाना, अन्यथा तुम्हें एक बड़े दिन की यातना पकड़ लेगी।

तो उन्होंने उसकी कूँचें काट दीं, फिर पछताने वाले हो गए।

तो उन्हें यातना ने पकड़ लिया। निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।

लूत की जाति ने रसूलों को झुठलाया।

जब उनके भाई लूत ने उनसे कहा : क्या तुम डरते नहीं हो?

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।

मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।

क्या सभी संसारों में से तुम पुरुषों के पास आते[26] हो।

तथा उन्हें छोड़ देते हो, जो तुम्हारे पालनहार ने तुम्हारे लिए तुम्हारी पत्नियाँ पैदा की हैं। बल्कि तुम हद से आगे बढ़ने वाले लोग हो।

उन्होंने कहा : ऐ लूत! निःसंदेह यदि तू नहीं रुका, तो निश्चित रूप से तू अवश्य निष्कासित लोगों में से हो जाएगा।

उसने कहा : निःसंदेह मैं तुम्हारे काम से सख़्त घृणा करने वालों में से हूँ।

ऐ मेरे पालनहार! मुझे तथा मेरे घर वालों को उससे बचा ले, जो ये करते हैं।

तो हमने उसे और उसके सभी घर वालों को बचा लिया।

सिवाय एक बुढ़िया[27] के, जो पीछे रहने वालों में से थी।

फिर हमने दूसरों को विनष्ट कर दिया।

और हमने उनपर ज़ोरदार बारिश[28] बरसाई। तो उन लोगों की बारिश बहुत बुरी थी, जिन्हें डराया गया था।

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।

ऐका[29] वालों ने रसूलों को झुठलाया।

जब उनसे शुऐब ने कहा : क्या तुम डरते नहीं हो?

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।

मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है।

नाप पूरा दो और कम देने वालों में से न बनो।

और सीधे तराज़ू से तोलो।

और लाेगों को उनका सामान कम न दो। और धरती में उपद्रव फैलाते मत फिरो।

और उससे डरो, जिसने तुम्हें तथा पहले लोगों को पैदा किया है।

उन्होंने कहा : निःसंदेह तू तो उन लोगों में से है जिनपर ताक़तवर जादू किया गया है।

और तू तो बस हमारे ही जैसा एक मनुष्य[30] है और निःसंदेह हम तो तुझे झूठों में से समझते हैं।

तो हम पर आसमान से कुछ टुकड़े गिरा दे, यदि तू सच्चों में से है।

उसने कहा : मेरा पालनहार अधिक जानने वाला है जो कुछ तुम कर रहे हो।

चुनाँचे उन्होंने उसे झुठला दिया। तो उन्हें छाया[31] के दिन की यातना ने पकड़ लिया। निश्चय वह एक बड़े दिन की यातना थी।

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे।

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है।

तथा निःसंदेह, यह (क़ुरआन) निश्चय सारे संसारों के पालनहार का उतारा हुआ है।

इसे रूह़ुल-अमीन[32] (अत्यंत विश्वसनीय फ़रिश्ता) लेकर उतरा है।

आपके दिल पर, ताकि आप सावधान करने वालों में से हो जाएँ।

स्पष्ट अरबी भाषा में।

तथा निःसंदेह यह निश्चित रूप से पहले लोगों की पुस्तकों में मौजूद है।[33]

क्या उनके लिए यह एक निशानी न थी है कि इसे बनी इसराईल के विद्वान[34] जानते हैं।

और यदि हम इसे ग़ैर-अरब[35] लोगों में से किसी पर उतार देते।

फिर वह इसे उनके सामने पढ़ता, तो भी वे उसपर ईमान लाने वाले न होते।[36]

इसी प्रकार हमने इसे अपराधियों के हृदयों में प्रवेश कर दिया।

वे उसपर ईमान नहीं लाएँगे, यहाँ तक कि वे दर्दनाक यातना देख लें।

तो वह उनपर अचानक आ पड़े और वे सोचते भी न हों।

फिर वे कहें : क्या हम मोहलत दिए जाने वाले हैं

तो क्या वे हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे हैं?

तो क्या आपने विचार किया यदि हम इन्हें कुछ वर्षों तक लाभ दें।

फिर उनपर वह (यातना) आ जाए, जिसका उनसे वादा किया जाता था।

तो उन्हें जो लाभ दिया जाता था, वह उनके किस काम आएगा?

और हमने किसी बस्ती को विनष्ट नहीं किया, परंतु उसके लिए कई सावधान करने वाले थे।

याद दिलाने के लिए। और हम अत्याचारी नहीं थे।

तथा इस (क़ुरआन) को लेकर शैतान नहीं उतरे।

और न यह उनके योग्य है, और न वे ऐसा कर सकते हैं।

निःसंदेह वे तो (इसके) सुनने ही से अलग[37] कर दिए गए हैं।

अतः आप अल्लाह के साथ किसी अन्य पूज्य को न पुकारें, अन्यथा आप दंड पाने वालों में हो जाएँगे।

और आप अपने निकटतम रिश्तेदारों को डराएँ।[38]

और ईमान वालों में से जो आपका अनुसरण करे, उसके लिए अपना बाज़ू[39] झुका दें।

फि यदि वे आपकी अवज्ञा करें, तो आप कह दें कि तुम जो कुछ कर रहे हो उसकी ज़िम्मेदारी से मैं बरी हूँ।

तथा उस सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् पर भरोसा करें।

जो आपको देखता है, जब आप खड़े होते हैं।

और सजदा करने वालों में आपके फिरने को भी।[40]

निःसंदेह वही सब कुछ सुनने वाला, सब कुछ जानने वाला है।

क्या मैं आपको बताऊँ कि शैतान किस पर उतरते हैं?

वे हर बड़े झूठे और बड़े पापी[41] पर उतरते हैं।

वे सुनी हुई बात को (काहिनों तक) पहुँचा देते हैं, और उनमें से अधिकतर झूठे हैं।

और कवि लोग, उनके पीछे भटके हुए लोग ही चलते हैं।

क्या आपने नहीं देखा कि वे प्रत्येक वादी में भटकते फिरते[42] हैं।

और यह कि निःसंदेह ऐसी बात कहते हैं, जो करते नहीं।

सिवाय उन (कवियों) के, जो[43] ईमान लाए, और अच्छे कर्म किए और अल्लाह को बहुत याद किया तथा बदला लिया, इसके बाद कि उनके ऊपर ज़ुल्म किया गया। तथा वे लोग, जिन्होंने अत्याचार किया, शीघ्र ही जान लेंगे कि वे किस जगह लौटकर जाएँगे।