The Noble Qur'an Encyclopedia
Towards providing reliable exegeses and translations of the meanings of the Noble Qur'an in the world languagesThe Hypocrites [Al-Munafiqoon] - Hindi translation - Azizul Haq Al-Omari
Surah The Hypocrites [Al-Munafiqoon] Ayah 11 Location Madanah Number 63
जब आपके पास मुनाफ़िक़ आते हैं, तो कहते हैं : हम गवाही देते हैं कि निःसंदेह आप निश्चय अल्लाह के रसूल हैं। तथा अल्लाह जानता है कि निःसंदेह आप निश्चय अल्लाह के रसूल हैं और अल्लाह गवाही देता है कि मुनाफ़िक़ निश्चित रूप से झूठे[1] हैं।
उन्होंने अपनी क़समों को ढाल बना लिया है, फिर उन्होंने (लोगों को) अल्लाह की राह से रोका है। निःसंदेह बहुत बुरा है, जो कुछ वे करते रहे हैं।
यह इस कारण कि वे ईमान लाए, फिर उन्होंने कुफ़्र किया। तो अल्लाह ने उनके दिलों पर मुहर लगा दी। अतः वे नहीं समझते।
और यदि तुम उन्हें देखो, तो तुम्हें उनके शरीर अच्छे लगेंगे और यदि वे बात करें, तो तुम उनकी बात पर कान लगाओगे। मानो कि वे टेक लगाई हुई लकड़ियाँ[2] हैं। वे हर तेज़ आवाज़ को अपने ही विरुद्ध[3] समझते हैं। वही वास्तविक शत्रु हैं। अतः आप उनसे सावधान रहें। अल्लाह उन्हें नाश करे! वे किधर फेरे जा रहे हैं!
और जब उनसे कहा जाए : आओ, अल्लाह के रसूल तुम्हारे लिए क्षमा की प्रार्थना करें, तो वे अपने सिर फेर लेते हैं। तथा आप उन्हें देखेंगे कि वे अभिमान करते हुए विमुख हो जाते हैं।
(ऐ नबी!) उनके लिए बराबर है, चाहे आप उनके लिए क्षमा की प्रार्थना करें या क्षमा की प्रार्थना न करें। अल्लाह उन्हें कदापि क्षमा नहीं करेगा। निःसंदेह अल्लाह अवज्ञाकारियों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता।
ये वही लोग हैं, जो कहते हैं कि उन लोगों पर खर्च न करो, जो अल्लाह के रसूल के पास हैं, यहाँ तक कि वे तितर-बितर हो जाएँ। हालाँकि आकाशों और धरती के खज़ाने अल्लाह ही के हैं। परंतु मुनाफ़िक़ नहीं समझते।
वे कहते हैं : यदि हम मदीना वापस गए, तो जो सबसे अधिक सम्मान वाला है, वह वहाँ से तुच्छतर को निकाल[4] बाहर करेगा। हालाँकि सम्मान तो केवल अल्लाह के लिए और उसके रसूल के लिए और ईमान वालों के लिए है। परंतु मुनाफ़िक़ नहीं जानते।
ऐ ईमान वालो! तुम्हारे धन तथा तुम्हारी संतानें तुम्हें अल्लाह की याद से गाफ़िल न कर दें। और जो ऐसा करे, तो वही लोग घाटा उठाने वाले हैं।
तथा हमने तुम्हें जो कुछ दिया है, उसमें से खर्च करो, इससे पहले कि तुममें से किसी की मृत्यु[5] आ जाए, फिर वह कहे : ऐ मेरे पालनहार! मुझे थोड़ी-सी मोहलत क्यों न दी कि मैं दान करता तथा सदाचारियों में से हो जाता।
और अल्लाह किसी प्राणी को कदापि अवसर नहीं देगा, जब उसका निर्धारित समय आ गया। और अल्लाह उससे भली-भाँति अवगत है, जो कुछ तुम करते हो।