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The Noble Qur'an Encyclopedia

Towards providing reliable exegeses and translations of the meanings of the Noble Qur'an in the world languages

The Pen [Al-Qalam] - Hindi translation - Azizul Haq Al-Omari

Surah The Pen [Al-Qalam] Ayah 52 Location Maccah Number 68

नून। क़सम है क़लम की तथा उसकी[1] जो वे लिखते हैं।

आप, अपने रब के अनुग्रह से हरगिज़ दीवाना नहीं हैं।

तथा निःसंदेह आपके लिए निश्चय ऐसा प्रतिफल है जो निर्बाध है।

तथा निःसंदेह निश्चय आप एक महान चरित्र पर हैं।

अतः शीघ्र ही आप देख लेंगे तथा वे भी देख लेंगे।

कि तुममें से कौन पागलपन से ग्रसित है।

निःसंदेह आपका पालनहार ही उसे अधिक जानता है, जो उसकी राह से भटक गया तथा वही अधिक जानता है उन्हें, जो सीधे मार्ग पर हैं।

अतः आप झुठलाने वालों की बात न मानें।

वे चाहते हैं काश! आप नरमी करें, तो वे भी नरमी[2] करें।

और आप किसी बहुत क़समें खाने वाले, हीन व्यक्ति की बात न मानें।[3]

जो बहुत ग़ीबत करने वाला, चुग़ली में बहुत दौड़-धूप करने वाला है।

भलाई को बहुत रोकने वाला, हद से बढ़ने वाला, घोर पापी है।

क्रूर है, इसके उपरांत हरामज़ादा (वर्णसंकर) है।

इस कारण कि वह धन और बेटों वाला है।

जब उसके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो कहता है : यह पहले लोगों की (कल्पित) कहानियाँ हैं।

शीघ्र ही हम उसकी थूथन[4] पर दाग़ लगाएँगे।

निःसंदेह हमने उन्हें परीक्षा में डाला[5] है, जिस प्रकार बाग़ वालों को परीक्षा में डाला था, जब उन्होंने क़सम खाई कि भोर होते ही उसके फल अवश्य तोड़ लेंगे।

और वे 'इन शा अल्लाह' नहीं कह रहे थे।

तो आपके पालनहार की ओर से उस (बाग़) पर एक यातना फिर गई, जबकि वे सोए हुए थे।

तो वह अंधेरी रात जैसा (काला) हो गया।

फिर उन्होंने भोर होते ही एक-दूसरे को पुकारा :

कि अपने खेत पर सवेरे ही जा पहुँचो, यदि तुम फल तोड़ने वाले हो।

चुनाँचे वे आपस में चुपके-चुपके बातें करते हुए चल दिए।

कि आज उस (बाग़) में तुम्हारे पास कोई निर्धन[6] हरगिज़ न आने पाए।

और वे सुबह-सुबह (यह सोचकर) निकले कि वे (निर्धनों को) रोकने में सक्षम हैं।

फिर जब उन्होंने उसे देखा, तो कहा : निःसंदेह हम निश्चय रास्ता भूल गए हैं।

बल्कि हम वंचित[7] कर दिए गए हैं।

उनमें से बेहतर ने कहा : क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि तुम (अल्लाह की) पवित्रता का वर्णन क्यों नहीं करते?

उन्होंने कहा : हमारा रब पवित्र है। निःसंदेह हम ही अत्याचारी थे।

फिर वे आपस में एक दूसरे को दोष देने लगे।

उन्होंने कहा : हाय हमारा विनाश! निश्चय हम ही सीमा का उल्लंघन करने वाले थे।

आशा है कि हमारा पालनहार हमें बदले में इस (बाग़) से बेहतर प्रदान करेगा। निश्चय हम अपने पालनहार ही की ओर इच्छा रखने वाले हैं।

इसी तरह होती है यातना, और आख़िरत की यातना तो इससे भी बड़ी है। काश वे जानते होते!

निःसंदेह डरने वालों के लिए उनके पालनहार के पास नेमत के बाग़ हैं।

तो क्या हम आज्ञाकारियों[8] को अपराध करने वालों की तरह कर देंगे?

तुम्हें क्या हुआ, तुम कैसे फ़ैसले करते हो?

क्या तुम्हारे पास कोई पुस्तक है, जिसमें तुम पढ़ते हो?

(कि) निश्चय तुम्हारे लिए आख़िरत में वही होगा, जो तुम पसंद करोगे?

या तुम्हारे लिए हमारे ऊपर क़समें हैं, जो क़ियामत के दिन तक बाक़ी रहने वाली हैं कि तुम्हारे लिए निश्चय वही होगा, जो तुम निर्णय करोगे?

आप उनसे पूछिए कि उनमें से कौन इसकी ज़मानत लेता है?

क्या उनके कोई साझी हैं? फिर तो वे अपने साझियों को ले आएँ[9], यदि वे सच्चे हैं।

जिस दिन पिंडली खोल दी जाएगी और वे सजदा करने के लिए बुलाए जाएँगे, तो वे सजदा नहीं कर सकेंगे।[10]

उनकी आँखें झुकी होंगी, उनपर अपमान छाया होगा। हालाँकि उन्हें (संसार में) सजदे की ओर बुलाया जाता था, जबकि वे भले-चंगे थे।

अतः आप मुझे तथा उसको छोड़ दें, जो इस वाणी (क़ुरआन) को झुठलाता है। हम उन्हें धीरे-धीरे (यातना की ओर) इस प्रकार ले जाएँगे[11] कि वे जान भी न सकेंगे।

और मैं उन्हें मोहलत (अवकाश) दूँगा।[12] निश्चय मेरा उपाय बड़ा मज़बूत है।

क्या आप उनसे कोई पारिश्रमिक[13] माँगते हैं कि वे तावान के बोझ से दबे जा रहे हैं?

अथवा उनके पास परोक्ष (का ज्ञान) है, तो वे लिख[14] रहे हैं?

अतः अपने पालनहार के निर्णय तक धैर्य रखें और मछली वाले के समान[15] न हो जाएँ, जब उसने (अल्लाह को) पुकारा, इस हाल में कि वह शोक से भरा हुआ था।

और यदि उसके पालनहार की अनुकंपा ने उसे संभाल न लिया होता, तो निश्चय वह चटियल मैदान में इस दशा में फेंक दिया जाता कि वह निंदित होता।

फिर उसके पालनहार ने उसे चुन लिया और उसे सदाचारियों में से बना दिया।

और वे लोग जिन्होंने इनकार किया, निश्चय क़रीब हैं कि वे अपनी निगाहों से (घूर घूरकर) आपको अवश्य ही फिसला देंगे, जब वे क़ुरआन को सुनते हैं और कहते हैं कि यह अवश्य ही दीवाना है।

हालाँकि वह सर्व संसार के लिए मात्र एक उपदेश[16] है।