The Noble Qur'an Encyclopedia
Towards providing reliable exegeses and translations of the meanings of the Noble Qur'an in the world languagesThe cloaked one [Al-Muddathir] - Hindi translation - Azizul Haq Al-Omari
Surah The cloaked one [Al-Muddathir] Ayah 56 Location Maccah Number 74
ऐ कपड़े में लिपटने वाले![1]
खड़े हो जाओ, फिर सावधान करो।
तथा अपने पालनहार ही की महिमा का वर्णन करो।
तथा अपने कपड़े को पवित्र रखो।
और गंदगी (बुतों) से दूर रहो।
तथा उपकार न जताओ (अपनी नेकियों को) अधिक समझ कर।
और अपने पालनहार ही के लिए धैर्य से काम लो।
फिर जब सूर में फूँक[2] मारी जाएगी।
तो वह दिन अति भीषण दिन होगा।
काफ़िरों पर आसान न होगा।
आप मुझे और उसे छोड़ दें, जिसे मैंने अकेला पैदा किया।
और मैंने उसे बहुत सारा धन प्रदान किया।
और उपस्थित रहने वाले बेटे[3] दिए।
और मैंने उसे प्रत्येक प्रकार का संसाधन दिया।
फिर वह लोभ रखता है कि मैं उसे और अधिक दूँ।
कदापि नहीं! निश्चय वह हमारी आयतों का सख़्त विरोधी है।
शीघ्र ही मैं उसे एक कठोर चढ़ाई[4] चढ़ाऊँगा।
निःसंदेह उसने सोच-विचार किया और बात बनाई।[5]
तो वह मारा जाए! उसने कैसी कैसी बात बनाई?
फिर मारा जाए! उसने कैसी बात बनाई?
फिर उसने देखा।
फिर उसने त्योरी चढ़ाई और मुँह बनाया।
फिर उसने पीठ फेरी और घमंड किया।
फिर उसने कहा : यह तो मात्र एक जादू है, जो (पहलों से) नक़ल (उद्धृत) किया जाता है।[6]
यह तो मात्र मनुष्य[7] की वाणी है।
मैं उसे शीघ्र ही 'सक़र' (जहन्नम) में झोंक दूँगा।
और आपको किस चीज़ ने अवगत कराया कि 'सक़र' (जहन्नम) क्या है?
वह न शेष रखेगी और न छोड़ेगी।
वह खाल को झुलस देने वाली है।
उसपर उन्नीस (फ़रिश्ते) नियुक्त हैं।
और हमने जहन्नम के रक्षक फ़रिश्ते ही बनाए हैं और उनकी संख्या को काफ़िरों के लिए परीक्षण बनाया है। ताकि अह्ले किताब[8] विश्वास कर लें और ईमान वाले ईमान में आगे बढ़ जाएँ। और किताब वाले एवं ईमान वाले किसी संदेह में न पड़ें। और ताकि वे लोग जिनके दिलों में रोग है और वे लोग जो काफ़िर[9] हैं, यह कहें कि इस उदाहरण से अल्लाह का क्या तात्पर्य है? ऐसे ही, अल्लाह जिसे चाहता है गुमराह करता है और जिसे चाहता है सीधा मार्ग दिखाता है। और आपके पालनहार की सेनाओं को उसके सिवा कोई नहीं जानता। और यह तो केवल मनुष्य के लिए उपदेश है।
कदापि नहीं, क़सम है चाँद की!
तथा रात की, जब वह जाने लगे!
और सुबह की, जब वह प्रकाशित हो जाए!
निःसंदेह वह (जहन्नम) निश्चय बहुत बड़ी चीज़ों[10] में से एक है।
मनुष्य के लिए डराने वाली है।
तुम में से उसके लिए, जो आगे बढ़ना चाहे अथवा पीछे हटना चाहे।[11]
प्रत्येक व्यक्ति उसके बदले जो उसने कमाया, गिरवी[12] रखा हुआ है।
सिवाय दाहिने वालों के।
वे जन्नतों में एक-दूसरे से पूछेंगे।
अपराधियों के बारे में।
तुम्हें किस चीज़ ने जहन्नम में डाला?
वे कहेंगे : हम नमाज़ पढ़ने वालों में से न थे।
और न हम निर्धन को खाना खिलाते थे।
और हम बेहूदा बहस करने वालों के साथ मिलकर व्यर्थ बहस किया करते थे।
और हम बदले के दिन को झुठलाया करते थे।
यहाँ तक कि मौत हमारे पास आ गई।
तो उन्हें सिफ़ारिश करने वालों की सिफ़ारिश लाभ नहीं देगी।[13]
तो उन्हें क्या हो गया है कि उपदेश से मुँह फेर रहे हैं?
जैसे वे सख़्त बिदकने वाले गधे हैं।
जो शेर से भागे हैं।
बल्कि उनमें से प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसे खुली पुस्तकें[14] दी जाएँ।
ऐसा कदापि नहीं हो सकता, बल्कि वे आख़िरत से नहीं डरते।
हरगिज़ नहीं, निश्चय यह (क़ुरआन) एक उपदेश (याददेहानी) है।
अतः जो चाहे, उससे नसीहत प्राप्त करे।
और वे नसीहत प्राप्त नहीं कर सकते, परंतु यह कि अल्लाह चाहे। वही इस योग्य है कि उससे डरा जाए और वही इस योग्य है कि क्षमा करे।