The Noble Qur'an Encyclopedia
Towards providing reliable exegeses and translations of the meanings of the Noble Qur'an in the world languagesThe Sundering, Splitting Open [Al-Inshiqaq] - Hindi translation - Azizul Haq Al-Omari
Surah The Sundering, Splitting Open [Al-Inshiqaq] Ayah 25 Location Maccah Number 84
जब आकाश फट जाएगा।
और अपने पालनहार के आदेश पर कान लगाएगा और यही उसके योग्य है।
तथा जब धरती फैला दी जाएगी।
और जो कुछ उसके भीतर है, उसे निकाल बाहर फेंक देगी और खाली हो जाएगी।
और अपने पालनहार के आदेश पर कान लगाएगी और यही उसके योग्य है।[1]
ऐ इनसान! निःसंदेह तू कठिन परिश्रम करते-करते अपने पालनहार की ओर जाने वाला है, फिर तू उससे मिलने वाला है।
फिर जिस व्यक्ति को उसका कर्मपत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया।
तो उसका आसान हिसाब लिया जाएगा।
तथा वह अपने लोगों की ओर ख़ुश-ख़ुश लौटेगा।
और लेकिन जिसे उसका कर्मपत्र उसकी पीठ के पीछे दिया गया।
तो वह विनाश को पुकारेगा।
तथा जहन्नम में प्रवेश करेगा।
निःसंदेह वह अपने घर वालों में बड़ा प्रसन्न था।
निश्चय उसने समझा था कि वह कभी (अल्लाह की ओर) वापस नहीं लौटेगा।
क्यों नहीं, निश्चय उसका पालनहार उसे देख रहा था।[2]
मैं क़सम खाता हूँ शफ़क़ (सूर्यास्त के बाद की लाली) की।
तथा रात की और उसकी जो कुछ वह एकत्रित करती है!
तथा चाँद की, जब वह पूरा हो जाता है।
तुम अवश्य एक अवस्था से दूसरी अवस्था में स्थानांतरित होते रहोगे।
फिर उन्हें क्या हो गया है कि वे ईमान नहीं लाते?
और जब उनके सामने क़ुरआन पढ़ा जाता है, तो सजदा नहीं करते।[3]
बल्कि जिन्होंने कुफ़्र किया, वे (उसे) झुठलाते हैं।
और अल्लाह सबसे अधिक जानने वाला है जो कुछ वे अपने भीतर रखते हैं।
अतः उन्हें एक दर्दनाक यातना की शुभ सूचना दे दो।
परंतु जो लोग ईमान लाए तथा उन्होंने सत्कर्म किए, उनके लिए कभी न समाप्त होने वाला बदला है।[4]